पुस्तक के बारे में ओड़िया साहित्य के चर्चित कथाकार शुभकांत बेहरा द्वारा लिखित 15 प्रतिनिधि कहानियों का यह संग्रह अपने आप में बेजोड़ है। इस पुस्तक में अनुवादित इनकी सभी कहानियां समाज की किसी न किसी समस्या को लेकर लिखी गई है। मिसाल के तौर पर अगर हम इनकी कहानी ‘आतंकवादी’ की ही बात करें तो हम उस कहानी में आतंकवाद जैसी सार्वभौमिक समस्या से जूझ रहे मानव समुदाय की मार्मिक स्थिति का दिग्दर्शन कर सकते हैं। इसी तरह मातृत्व भावना से ओत-प्रोत ‘बेबश मातृत्व’ कहानी से हम एक माँ की पीड़ा से रू-ब-रू होने के साथ-साथ पारिवारिक विघटन का यथार्थ चित्र से परिचित होते हैं। उनकी दूसरे कहानियों के बारे में विचार करें तो इस पुस्तक में संकलित और अनुवादित हर एक कहानी का अपना स्वतंत्र वैशिष्टय है जिसमें एक लेखक के संचतक समाज दृष्टि का परिचय मिलना है। उम्मीद है कि डाॅ. शुभकांत बेहरा द्वारा लिखित ये कहानियाँ हिन्दी भाषी पाठकों को आनंद का खुराक देने के साथ ही अपने चारों ओर फैली सामाजिक बुराईयों से साक्षात्कार होने में एक नई दृष्टि प्रदान करेगी। अनुक्रम प्रस्तावना 7 1. बेबश मातृत्व 9 2. देह से देहातीत 17 3. निरन्तर अप्राप्ति की एलिजि 27 4. उनसे ही तो सब कुछ 36 5. एक आदर्श की हत्या 45 6. श्रवण कुमार की श्री 52 7. शहीद 63 8. गाँधी जी की शरण में... 70 9. व्यतिवम की रागिनी 80 10. छिन्नमूल 89 11. कूटनीतिज्ञ को झूठ बोलना मना है 97 12. मृगतृष्णा का मोह 107 13. समुन्दर पार के सपनें 115 14. गिरमिटिया 122 15 आतंकवादी 131
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